Jharkhand SJMDC Microloan Ceremony: स्वरोजगार की दिशा में महिलाओं को मिली आर्थिक ताकत
जमशेदपुर, बिष्टुपुर – झारखंड के बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन ऑडिटोरियम में शनिवार को ‘स्वावलंबी झारखंड माइक्रोवेलफेयर डेवलपमेंट सेंटर (SJMDC)’ द्वारा 13वां वार्षिक लघु ऋण वितरण समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार थे। इस दौरान 75 महिलाओं के बीच कुल 25 लाख रुपये का लघु ऋण वितरित किया गया, ताकि वे अपने स्वरोजगार की शुरुआत कर सकें।
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इस आयोजन में विशिष्ट अतिथि के रूप में जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय और उद्यमी सह समाजसेवी एस. के. बेहरा भी मौजूद रहे। समारोह का उद्देश्य था – आर्थिक रूप से पिछड़ी महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाना।
राज्यपाल ने सराहा SJMDC का प्रयास
राज्यपाल संतोष गंगवार ने अपने संबोधन में स्वावलंबी झारखंड के प्रयासों की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा,
“बैंक से बड़े ऋण तो आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन छोटे ऋणों के लिए लोगों को अक्सर महाजनों का सहारा लेना पड़ता है, जहां उन्हें अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है। SJMDC जैसी संस्थाएं ऐसे लोगों के लिए उम्मीद की किरण हैं।”
राज्यपाल ने यह भी बताया कि उन्हें खुद 25 वर्षों का माइक्रोफाइनेंस का अनुभव है। उन्होंने बरेली (उत्तर प्रदेश) के अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का उदाहरण देते हुए कहा कि जब ऋण महिलाओं को दिया जाता है, तो उसकी वसूली की संभावना सबसे अधिक होती है।उन्होंने कहा,
“महिलाओं को दिया गया ऋण शायद ही कभी एनपीए (Non-Performing Asset) बनता है
छोटे ऋण, बड़ी उम्मीदें
SJMDC का यह प्रकल्प वर्ष 2012 में मात्र 50 महिलाओं को लोन देकर शुरू हुआ था, और आज यह संख्या 4,000 से ज्यादा महिलाओं तक पहुँच चुकी है। संस्था का उद्देश्य है – कम ब्याज या ब्याज-मुक्त ऋण देकर महिलाओं को छोटे स्तर पर व्यापार शुरू करने में सहायता देना।
विशिष्ट अतिथि विधायक सरयू राय ने कहा कि यह मंच महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बना रहा है, बल्कि समाज में उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि संस्था ने महज 5 लाख रुपये से शुरू होकर आज 9 करोड़ रुपये तक के सूक्ष्म ऋण वितरण का आंकड़ा छू लिया है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
व्यवसाय के साथ कौशल विकास भी ज़रूरी
समारोह में समाजसेवी एस.के. बेहरा ने यह सुझाव दिया कि सिर्फ ऋण देना ही नहीं, बल्कि महिलाओं के कौशल विकास (Skill Development) पर भी ध्यान देना चाहिए। इससे वे अपने व्यवसाय को और बेहतर ढंग से चला पाएंगी। उन्होंने मंच के निदेशकों से आग्रह किया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए जाएं।
सामाजिक सहभागिता से चल रहा है यह मिशन
खादी ग्रामोद्योग आयोग के सदस्य और SJMDC के निदेशक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यह पूरा प्रकल्प स्वदेशी जागरण मंच के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मुरलीधर राव के मार्गदर्शन में शुरू किया गया था। तब से अब तक कई समाजसेवियों और आम नागरिकों ने इसमें सहयोग दिया और इसे ब्याज रहित ऋण संस्था के रूप में खड़ा किया।
समारोह का संचालन बंदेशंकर सिंह ने किया और स्वागत भाषण निदेशक अशोक गोयल ने दिया। कार्यक्रम में अनेक गणमान्य व्यक्ति, प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और भाजपा प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
यह सिर्फ लोन नहीं, आत्मनिर्भरता की शुरुआत है
SJMDC जैसी संस्थाएं इस बात का प्रमाण हैं कि समाज की साझेदारी से महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। छोटे ऋण से बड़ा बदलाव लाना संभव है, बस जरूरत है भरोसे और सहयोग की।
यह आयोजन झारखंड में महिला सशक्तिकरण, स्वरोजगार, और सामाजिक सहयोग की मिसाल बनकर सामने आया है। ऐसे प्रयास अगर हर जिले में हों, तो झारखंड की तस्वीर बदल सकती है।
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