रांची: झारखंड की राजधानी रांची में बहुचर्चित ज़मीन घोटाले के आरोपी और रांची के पूर्व उपायुक्त (DC) रहे आईएएस छवि रंजन की ज़मानत याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो गई। इस याचिका पर अब फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।
इस मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हुई। छवि रंजन की ओर से उनके वकील राजेंद्र कृष्ण ने ज़मानत की मांग करते हुए अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल 4 मई 2023 से जेल में बंद हैं और उन्हें हिरासत में लगभग 22 महीने से ज्यादा समय हो चुका है।
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अधिवक्ता ने दलील दी कि इस मामले में अब तक सरकार द्वारा अभियोजन की विधिवत अनुमति नहीं ली गई है, जबकि यह प्रक्रिया कानून के तहत अनिवार्य मानी जाती है। इसी आधार पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती फैसलों का हवाला देते हुए अदालत से अनुरोध किया कि छवि रंजन को ज़मानत प्रदान की जाए।
दूसरी ओर, इस याचिका का विरोध प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से अधिवक्ता अमित दास ने किया। उन्होंने कहा कि छवि रंजन की ज़मानत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि यह मामला गंभीर ज़मीन घोटाले से जुड़ा हुआ है।
यह पूरा मामला रांची के बड़गाईं अंचल के बरियातु इलाके में स्थित सेना की ज़मीन की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़ा है। इस ज़मीन को फर्जी कागजों के ज़रिए बेचने और खरीदने की कोशिश की गई थी।
इस केस में ईडी ने रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन के साथ-साथ कई और लोगों को भी आरोपी बनाया है। इनमें प्रमुख नाम हैं:
- कारोबारी विष्णु अग्रवाल
- राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद
- फर्जी रैयत (ज़मीन मालिक बताने वाला) प्रदीप बागची
इस मामले में ज़मीन कारोबार से जुड़े जिन अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें अफसर अली, इम्तियाज खान, तल्हा खान, फैयाज खान, मोहम्मद सद्दाम, अमित अग्रवाल और दिलीप घोष के नाम शामिल हैं।
इससे पहले, रांची स्थित पीएमएलए (PMLA) कोर्ट ने भी छवि रंजन की ज़मानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया और ज़मानत के लिए गुहार लगाई।
अब जब दोनों पक्षों की दलीलें सुन ली गई हैं, तो हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसका मतलब है कि कुछ समय बाद कोर्ट इस पर अपना निर्णय सुनाएगी।
इस मामले को लेकर राज्य भर में चर्चा है क्योंकि यह एक सीनियर आईएएस अधिकारी से जुड़ा हुआ मामला है और इसमें कई रसूखदार लोगों के नाम सामने आ चुके हैं।
अब सबकी नजर हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी है, जो आने वाले दिनों में इस मामले की दिशा तय करेगा।
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