जमशेदपुर: जमशेदपुर के हुडको लेक टाउन कॉलोनी से मंगलवार की दोपहर एक आठवीं कक्षा का छात्र बिना किसी को बताए घर से लापता हो गया. 13 वर्षीय जयदीप दास ओझा, जो कि टाटा कमिंस कंपनी में कार्यरत पुलक दास ओझा का बेटा है, मंगलवार को अपराह्न लगभग तीन बजे अपने घर से अचानक कहीं चला गया. घर में एक छोटा सा भावनात्मक नोट छोड़ कर गया, जिसमें उसने अपने क्रिकेटर बनने की ख्वाहिश जताई है.
सुबह स्कूल गया, दोपहर में बिना बताए निकल गया
मिली जानकारी के अनुसार जयदीप हर रोज की तरह मंगलवार सुबह अपने स्कूल गया था. वह जमशेदपुर के टेल्को टीआरएफ कॉलोनी स्थित वैली व्यू स्कूल का छात्र है और आठवीं कक्षा में पढ़ता है. स्कूल से लौटने के बाद वह घर पर था, लेकिन दोपहर करीब तीन बजे वह चुपचाप दरवाजा खोलकर कहीं चला गया.
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जब उसकी मां रुना दास ओझा ने उसे खोजने की कोशिश की, तो वह कहीं नहीं मिला. घर की तलाशी लेने पर एक भावुक चिट्ठी मिली, जिसे पढ़कर परिवार का दिल टूट गया.
नोट में लिखा – हमको क्रिकेटर बनना था पापा.
जयदीप द्वारा छोड़े गए नोट में लिखा है -मेरे को सब गिड्डा बुलाता है, मेरा मजाक उड़ाता है। हमको क्रिकेटर बनना था पापा.
परिवार के अनुसार जयदीप कुछ समय से क्रिकेट को लेकर काफी गंभीर था. वह किसी क्रिकेट एकेडमी में दाखिला लेना चाहता था. माता-पिता ने उसे कुछ दिनों बाद दाखिला दिलाने का भरोसा दिया था, लेकिन इससे पहले ही उसने अचानक यह कदम उठा लिया.
जयदीप की मां ने बताया कि बेटा क्रिकेट को लेकर बहुत जुनूनी था. वह चाहता था कि उसे जल्दी से जल्दी किसी अच्छे क्रिकेट ट्रेनिंग सेंटर में भेजा जाए, ताकि वह अपने सपनों को साकार कर सके. परिवार ने समझाया था कि जल्द ही उसका दाखिला करवा देंगे, लेकिन शायद बच्चे ने खुद को नासमझी में अकेला महसूस किया.
परिवार बेहाल, अब तक नहीं मिला कोई सुराग
जयदीप के लापता होने की जानकारी मिलते ही परिजन बेहद चिंतित हैं और इधर-उधर उसकी तलाश में जुटे हुए हैं. समाचार लिखे जाने तक जयदीप का कोई पता नहीं चल सका है. परिजनों ने स्थानीय थाना को सूचना दे दी है और पुलिस भी उसकी खोजबीन में लग गई है.
पड़ोसियों और जानने वालों से पूछताछ की जा रही है. बच्चे के घर लौट आने की उम्मीद में माता-पिता की आंखें बार-बार दरवाजे की ओर उठ जाती हैं. हर बीतता पल उनके लिए एक भारी बोझ जैसा बन गया है.
मानसिक दबाव का शिकार बना बच्चा?
जयदीप की चिट्ठी से साफ झलकता है कि वह अपने दोस्तों या आसपास के लोगों की बातें सुनकर काफी दुखी था. “गिड्डा बुलाना” जैसी बातों से यह समझा जा सकता है कि उसे शारीरिक बनावट या खेल में कमजोरी को लेकर ताने सुनने पड़ते होंगे. ऐसे हालात में बच्चों का आत्मविश्वास टूटना आम है.
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि बच्चों की भावनाओं को गंभीरता से लेना कितना जरूरी है. माता-पिता, शिक्षक और समाज को मिलकर यह समझना होगा कि बच्चों की इच्छाओं, सपनों और भावनाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती.
पुलिस और प्रशासन से अपील
परिजन लगातार पुलिस से संपर्क में हैं. अपील की गई है कि शहर के हर हिस्से में बच्चे की तलाश की जाए. सोशल मीडिया पर भी बच्चे की तस्वीर साझा कर दी गई है ताकि अगर किसी को भी वह नजर आए तो तुरंत परिवार या पुलिस को सूचना दी जा सके.
निष्कर्ष
जयदीप का अचानक इस तरह से गायब हो जाना केवल एक परिवार की चिंता नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है. बच्चों की भावनाओं, सपनों और संघर्षों को हल्के में लेना कभी-कभी खतरनाक परिणाम दे सकता है.
फिलहाल हर किसी की यही दुआ है कि जयदीप सही-सलामत घर लौट आए और उसके सपनों को उड़ान देने में परिवार और समाज मिलकर साथ दे।
यदि आप इस बच्चे के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी रखते हैं, तो कृपया नजदीकी पुलिस स्टेशन या टेल्को थाना को सूचित करें।
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