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Shiv Mahapuran Katha in Jamshedpur: कथा का सार जीवन में उतारें, तभी मिलता है श्रवण का पूर्ण फल – Acharya Tripathi

On: July 25, 2025 11:50 AM
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जमशेदपुर (जुगसलाई):श्री राजस्थान शिव मंदिर, जुगसलाई में चल रही शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन गुरुवार को श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला। कथा की शुरुआत पवन काबरा द्वारा व्यास पीठ पूजन के साथ की गई, जिसके बाद कथा वाचक आचार्य विनयकांत त्रिपाठी ने भावपूर्ण और जीवन प्रेरणादायक प्रवचन दिया।

आचार्य त्रिपाठी ने कहा कि शिवलिंग प्राकट्य का दिन ही प्रदोष कहलाता है, और इसका विशेष महत्व है। उन्होंने समझाया कि सोमवार का व्रत सिर्फ सौभाग्यवती महिलाएं करें, कुमारी कन्याएं नहीं। साथ ही बताया कि ब्रह्म मुहूर्त में किया गया पूजन और ध्यान सबसे शुभ और फलदायक होता है।

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कथा में उन्होंने त्रिकाल संध्या (सुबह, दोपहर और शाम की पूजा) की महत्ता पर भी प्रकाश डाला और बताया कि अगर कोई विवाह करना चाहता है, तो दिवा लग्न यानी दिन के शुभ मुहूर्त में विवाह करना सर्वोत्तम होता है। गोधूलि बेला (शाम के समय जब गायें लौटती हैं) का विवाह भी शुभ माना गया है।

उन्होंने एकादशी और प्रदोष व्रत की जानकारी विस्तार से दी और बताया कि श्रावण मास के पहले सोमवार से सोमवार व्रत शुरू करना श्रेष्ठ होता है। इस दौरान आचार्य त्रिपाठी ने भगवान शिव के शरीर की अद्भुत विशेषताओं की भी गहराई से व्याख्या की।

उन्होंने कहा,

चिंता चिता के समान होती है, इसलिए चिंता नहीं, बल्कि चिंतन करें और भगवान शिव का भजन करें।

आचार्य जी ने एक भावुक प्रसंग में माता पार्वती की विदाई के समय उनके माता-पिता हिमालय राज और रानी मैना द्वारा दी गई सीख का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने बताया कि पति-पत्नी को एक-दूसरे का नाम नहीं लेना चाहिए, बड़े बेटे के नाम से नहीं बुलाना चाहिए, और शिष्य को अपने गुरु का नाम नहीं लेना चाहिए।

उन्होंने ये भी कहा कि आज के युग में शिक्षा तो स्कूल में मिलती है, लेकिन संस्कार सिर्फ कथा श्रवण से ही प्राप्त होते हैं। एक अच्छी पत्नी में क्या गुण होने चाहिए, इस विषय पर भी उन्होंने सरल भाषा में कई बातें साझा कीं।

कथा में आचार्य त्रिपाठी ने भगवान शिव के पुत्र श्री कार्तिकेय के प्राकट्य और जीवन से जुड़ी घटनाओं का विवरण दिया। साथ ही उन्होंने भगवान गणेश के जन्म और उनके जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंग को भी सरल शब्दों में समझाया।

आज की कथा में भक्ति और श्रद्धा की झलक हर कोने में देखने को मिली। मंदिर परिसर में शिव परिवार की भव्य झांकी सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।

कथा आयोजन को सफल बनाने में मंदिर कमेटी के अध्यक्ष छीतरमल धूत, महासचिव अरुण अग्रवाल, कोषाध्यक्ष दीपक अग्रवाल रामुका, पवन काबरा, सांवरलाल शर्मा, मनोज केडिया, विश्वनाथ शर्मा, पवन सिंगोदिया, कमल किशोर अग्रवाल, श्यामसुंदर चौधरी सहित कई कार्यकर्ताओं ने सहयोग किया।

आज के विशेष आगंतुकों में कुमुद अग्रवाल मेंगोतिया, श्रीमती गोविन्द दोदराजका, शकुन बजाज, सुशीला सावा, संतोष धूत, कमलेश अग्रवाल, रतनलाल अग्रवाल, प्रहलाद सारडा, गिरधारीलाल शर्मा, विनोद पारीक, पं. पवन शर्मा, सुशील सर्वा, संजय गुप्ता समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

संक्षेप में कहा जाए तो, आज की कथा भक्ति, जीवन मूल्यों और सांस्कृतिक परंपराओं का एक सुंदर मेल रही। हर उम्र के लोग बड़ी श्रद्धा से जुड़े और कथा के माध्यम से उन्होंने सरलता से यह जाना कि जीवन को कैसे बेहतर और संस्कारपूर्ण तरीके से जिया जा सकता है।

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