जमशेदपुर: बच्चों में मिर्गी, दिमागी बुखार, ऑटिज्म, एडीएचडी और मानसिक विकास से जुड़ी समस्याओं पर गंभीर चर्चा के लिए जमशेदपुर में 19 और 20 जुलाई को एक खास चिकित्सा सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का नाम न्यूरोपेडिकॉन 2024 रखा गया है। इसका आयोजन झारखंड एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी और जमशेदपुर एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है। यह सम्मेलन न केवल झारखंड में पहली बार हो रहा है, बल्कि पूरे पूर्वी भारत में यह इसका चौथा संस्करण होगा।
सम्मेलन से पहले दो महत्वपूर्ण कार्यशालाएं
सम्मेलन शुरू होने से एक दिन पहले यानी 18 जुलाई को दो जरूरी कार्यशालाएं होंगी। एक कार्यशाला EEG (दिमागी तरंगों की जांच) पर आधारित होगी और दूसरी बच्चों के मानसिक विकास में होने वाली परेशानियों पर।इन कार्यशालाओं में डॉक्टरों को यह सिखाया जाएगा कि बच्चों के दिमागी विकास की समस्याओं को कैसे जल्दी पहचानें और इलाज की दिशा में कैसे कदम बढ़ाएं। यह जमशेदपुर और झारखंड के बाल रोग विशेषज्ञों के लिए एक सुनहरा मौका है।
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सम्मेलन का उद्देश्य: नेटवर्क बनाना और गैप को भरना
इस वर्ष सम्मेलन का मुख्य विषय है Building Networks: Bridging Gaps यानी डॉक्टरों के बीच आपसी तालमेल को बेहतर बनाना और इलाज के बीच मौजूद कमी को दूर करना।इस सम्मेलन में मिर्गी, ब्रेन फीवर (मस्तिष्क ज्वर), बच्चों में चलने-फिरने की समस्या, ऑटिज्म, एडीएचडी जैसी बीमारियों पर चर्चा होगी। विशेषज्ञ डॉक्टर अपने अनुभव साझा करेंगे और आधुनिक तरीकों पर रोशनी डालेंगे।
कौन-कौन होंगे प्रमुख वक्ता
इस सम्मेलन में देश के कई जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे, जिनमें शामिल हैं:
- डॉ. बसंत खलातकर – बाल चिकित्सा एकेडमी के अध्यक्ष
- डॉ. समीर दलवाई – अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बाल विकास विशेषज्ञ
- डॉ. विनीत वानखेड़े – एओवीएन के सचिव
- डॉ. सुदीप साहा – बाल मस्तिष्क एकेडमी के उपाध्यक्ष
- डॉ. प्रशांत सघोष – बाल चिकित्सा एकेडमी के उपाध्यक्ष
- डॉ. सस्मिता देवी अग्रवाल, जो पूर्व में पूर्वी भारत बाल मस्तिष्क अकादमी की अध्यक्ष रह चुकी हैं।
- डॉ. संजीव देववर्मा इस समय पूर्वी भारत बाल एकेडमी के अध्यक्ष के तौर पर कार्य कर रहे हैं।
- डॉ. राजीव मिश्र, जो झारखंड बाल एकेडमी के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
इनके अलावा टीएमएच के प्रमुख डॉ. संजय तांती, डॉ. सुधीर मिश्रा, डॉ. प्रीति श्रीवास्तव, डॉ. जॉय भादुड़ी, डॉ. एएम सिन्हा, डॉ. मिथिलेश कुमार और डॉ. एकता अग्रवाल भी आयोजन से जुड़े हैं।
क्या होगा बच्चों को फायदा
इस सम्मेलन और कार्यशालाओं से डॉक्टरों को बच्चों की मानसिक और न्यूरो समस्याओं की जल्दी पहचान करने की ट्रेनिंग मिलेगी। इसका सीधा फायदा यह होगा कि बच्चों का इलाज समय पर शुरू हो सकेगा और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकेगा।
जमशेदपुर को क्यों मिला आयोजन का मौका
जमशेदपुर में बाल चिकित्सा और न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रहे डॉक्टरों की टीम लगातार बच्चों के इलाज को बेहतर करने में लगी है। इसीलिए पूरे पूर्वी भारत से डॉक्टर यहां आकर अनुभव साझा करेंगे और नई तकनीकों को सीखेंगे।
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