जमशेदपुर: डिमना चौक स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। अब अस्पताल परिसर में एक नया और अत्याधुनिक मार्चरी भवन (शव रखने का स्थान) बनाया जाएगा। इस फैसले से उन परिजनों को बड़ी राहत मिलेगी, जो अपनों के निधन के बाद शव के सुरक्षित रखने की व्यवस्था को लेकर परेशान रहते हैं।
क्यों जरूरी है नया मार्चरी भवन?
अभी तक एमजीएम अस्पताल में शवों को सुरक्षित रखने की कोई स्थायी और सुविधाजनक जगह नहीं है। मरीज की मृत्यु के बाद शवों को पुराने अस्पताल भवन में भेजा जाता है, जहां अस्थायी रूप से व्यवस्था की जाती है। लेकिन अब वह पुराना भवन भी तोड़ा जा रहा है, जिससे समस्या और बढ़ गई है। यही कारण है कि अस्पताल प्रबंधन ने इस गंभीर स्थिति को समझते हुए एक नया और आधुनिक मार्चरी भवन बनाने का निर्णय लिया है।
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कहां बनेगा नया भवन?
मंगलवार को अस्पताल प्रशासन की एक अहम बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता अधीक्षक डॉ. आर. के. मंधान ने की। बैठक में उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. पी. के. दत्ता और अन्य अधिकारी शामिल थे। बैठक के बाद सभी अधिकारियों ने अस्पताल परिसर में स्थल का निरीक्षण किया और निर्माण के लिए उचित जगह चुन ली गई।
क्या-क्या सुविधाएं होंगी नए मार्चरी भवन में?
प्रबंधन के अनुसार, नए मार्चरी भवन में एक साथ 12 शवों को सुरक्षित रखने की क्षमता होगी। इसके लिए खास तरह के अत्याधुनिक डीप फ्रीज़र लगाए जाएंगे, जिससे शव कई दिनों तक खराब नहीं होंगे। यह तकनीक उन परिवारों के लिए बेहद मददगार होगी, जिन्हें शव को अपने गांव या शहर ले जाने में वक्त लगता है।
अस्पताल प्रशासन की क्या है योजना?
अस्पताल प्रशासन का मानना है कि जैसे ही नया भवन बनकर तैयार होगा, वैसे ही शवों के संरक्षण में हो रही तमाम समस्याएं खत्म हो जाएंगी। मरीजों के परिजन बिना किसी भागदौड़ के आसानी से अपने प्रियजनों के शव को संभाल पाएंगे। इससे ना सिर्फ सुविधा बढ़ेगी, बल्कि अस्पताल की कार्यप्रणाली भी और बेहतर होगी।
आम लोगों को क्या मिलेगा फायदा?
इस योजना के लागू होने से खासकर गरीब और ग्रामीण इलाकों से आने वाले लोगों को काफी राहत मिलेगी। अब उन्हें शव के लिए इधर-उधर नहीं भागना पड़ेगा। साथ ही शवों को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर तकनीक भी उपलब्ध होगी।
निष्कर्ष
एमजीएम अस्पताल का यह फैसला न केवल तकनीकी उन्नति का संकेत है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी एक अहम कदम है। यह दिखाता है कि प्रशासन सिर्फ इलाज ही नहीं, बल्कि मरीज के अंतिम क्षणों तक सम्मान और संवेदना बनाए रखने के लिए भी प्रतिबद्ध है। जल्द ही जमशेदपुरवासियों को यह नई सुविधा देखने को मिलेगी, जिससे सैकड़ों परिवारों को मानसिक और व्यावहारिक दोनों राहत मिलेगी।
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