जमशेदपुरः झारखंड असंगठित मजदूर यूनियन (JAMU) ने एचडीएफसी बैंक प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए ठेका मजदूरों की सुरक्षा, अधिकार और सम्मान की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है। यूनियन का आरोप है कि बैंक प्रबंधन लगातार स्थायी कामों को भी ठेका एजेंसियों के माध्यम से करवा रहा है और मजदूरों को शोषण का शिकार बना रहा है।
रविवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूनियन के अध्यक्ष सपन कुमार घोषाल और महासचिव रमेश मुखी ने साफ कहा कि एचडीएफसी बैंक झारखंड भर में साफ-सफाई, पेंट्री बॉय, रनर बॉय और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य ठेका मजदूरों से करवा रहा है। ये सारे काम लगातार चलने वाले और स्थायी प्रकृति के हैं, लेकिन इन पर काम करने वाले श्रमिकों को किसी भी प्रकार की सेवा सुरक्षा या मजदूरी की पारदर्शी व्यवस्था नहीं दी जा रही है।
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यूनियन पदाधिकारियों के अनुसार, कई मजदूर पिछले 10 सालों से लगातार इन बैंकों में काम कर रहे हैं, फिर भी उन्हें ठेके के नाम पर अनिश्चित और असुरक्षित हालात में काम कराया जा रहा है। न तो उन्हें साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है, न ही त्योहारी या राष्ट्रीय छुट्टियों में राहत मिलती है। सालाना बोनस भी नहीं दिया जाता और न ही उपार्जित या आकस्मिक अवकाश की कोई सुविधा है।
सबसे गंभीर बात यह है कि यूनियन ने आरोप लगाया कि बैंक प्रबंधन अब ठेका एजेंसियों के माध्यम से मजदूरों पर दबाव बनाकर उन्हें काम से हटवाने की कोशिश कर रहा है। मजदूरों को डराने और प्रताड़ित करने के लिए श्रम नियमों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके खिलाफ यूनियन ने उप मुख्य श्रमायुक्त और सहायक श्रमायुक्त के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है, जो फिलहाल विचाराधीन है।
यूनियन नेताओं का दावा है कि न केवल एचडीएफसी, बल्कि झारखंड के अन्य प्राइवेट बैंक भी यही रणनीति अपना रहे हैं। इन बैंकों में अधिकतर आदिवासी, दलित और गरीब वर्ग के मजदूर काम कर रहे हैं, जिन्हें नियमों के अनुसार न तो ठेका कानून के तहत कोई सुरक्षा मिलती है, और न ही ठेका एजेंसियों के पास श्रम विभाग से अधिकृत लाइसेंस होते हैं।
यह भी सामने आया है कि इन ठेका प्रतिष्ठानों को नियोजन के लिए न तो प्राइवेट बैंकों की ओर से वैध स्वीकृति प्राप्त है और न ही श्रम विभाग की निगरानी में कोई लाइसेंसिंग प्रक्रिया पूरी की गई है। इससे न केवल श्रमिकों का शोषण हो रहा है, बल्कि सरकार को भी आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूनियन ने साफ तौर पर कहा कि वे मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय और शोषण को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे और इसके खिलाफ पूरी तरह शांतिपूर्ण व कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। इस मौके पर कई ठेका मजदूर भी मौजूद थे, जिनमें उमेश मुखी, रामदास करुआ, विष्णु, अमित, नीरज, राकेश, दिलीप मिश्रा, आलोक, ऋषि, सावन और नंदू शामिल थे। इन सभी ने अपने-अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्हें किस तरह काम के बदले सम्मान और अधिकार नहीं मिल रहा है।
निष्कर्ष
यह मामला केवल मजदूरों के अधिकारों का नहीं, बल्कि श्रम कानून के खुले उल्लंघन और निजी संस्थानों की जवाबदेही का भी है। JAMU ने इस संघर्ष को राज्यव्यापी स्तर पर ले जाने की तैयारी कर ली है, ताकि हर ठेका मजदूर को न्याय मिल सके और श्रम कानूनों का पालन अनिवार्य रूप से हो।
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