जमशेदपुर: टाटा नगरी जमशेदपुर को “इंडस्ट्रियल टाउन” बनाए जाने को लेकर जारी अधिसूचना पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अहम सुनवाई हुई। यह मामला एक जनहित याचिका से जुड़ा है जिसे जमशेदपुर के सामाजिक कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने दायर किया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि जमशेदपुर को नगर निगम घोषित किया जाए, ताकि यहां के नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मिल सकें और उन्हें तीसरे मताधिकार (नागरिकों द्वारा प्रतिनिधियों का चुनाव) का अधिकार प्राप्त हो सके।
क्या है मामला?
सालों से जमशेदपुर टाटा स्टील द्वारा विकसित और प्रबंधित एक औद्योगिक शहर रहा है। सरकार ने हाल ही में इसे “इंडस्ट्रियल टाउन” बनाए रखने की अधिसूचना जारी की है, जिसके खिलाफ यह याचिका दाखिल की गई। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस अधिसूचना के कारण नागरिकों को नगर निगम की जरूरी सुविधाएं और अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
यह मामला सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 2 में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, जहां जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की खंडपीठ द्वारा इसकी सुनवाई होनी थी। लेकिन बुधवार को समय की कमी के कारण यह सुनवाई पूरी नहीं हो सकी।
टाटा स्टील की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कंपनी का पक्ष रखा और याचिका के जवाब में अपना स्पष्टीकरण कोर्ट में दिया। हालांकि यह जवाब रिकॉर्ड पर नहीं आ सका।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता जवाहरलाल शर्मा के वकील को दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही झारखंड सरकार को भी इस मामले में अपनी तरफ से जवाब दाखिल करने को कहा गया है। अगली सुनवाई की तारीख फिलहाल तय नहीं हुई है।
सरकार की तैयारी
इस बीच झारखंड सरकार ने जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाए रखने के फैसले पर अमल शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है और प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है। इसका साफ संकेत है कि सरकार फिलहाल अपने फैसले पर कायम है।
जनता की मांग क्या है?
जमशेदपुर के कई सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि शहर को नगर निगम का दर्जा दिया जाए। उनका कहना है कि इससे लोगों को बेहतर नागरिक सुविधाएं, पारदर्शी प्रशासन और लोकतांत्रिक अधिकार मिल सकेंगे। मौजूदा व्यवस्था में नागरिक नगर निकाय चुनावों में सीधे भाग नहीं ले सकते, जिससे उनके अधिकार सीमित हो जाते हैं।
आगे क्या हो सकता है?
इस केस की अगली सुनवाई में कोर्ट यह तय कर सकता है कि जमशेदपुर को नगर निगम बनाया जाए या इंडस्ट्रियल टाउन की स्थिति बनाए रखी जाए। कोर्ट में टाटा स्टील, झारखंड सरकार और याचिकाकर्ता के तर्कों पर विस्तार से विचार किया जाएगा। फिलहाल दोनों पक्षों को अपने जवाब दाखिल करने हैं।
निष्कर्ष:
जमशेदपुर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई न सिर्फ एक कानूनी मुद्दा है, बल्कि लाखों लोगों के नागरिक अधिकारों और शहर के भविष्य से जुड़ी अहम बहस भी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट का रुख क्या होता है और जमशेदपुर को नगर निगम बनने का मौका मिलेगा या नहीं।
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