रांची, झारखंड: रांची में आयोजित सेंट्रल जीएसटी ग्रीवांस रिड्रेसल कमेटी (Central GST Grievance Redressal Committee) की बैठक में सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SCCI) के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेते हुए जीएसटी से जुड़ी कई प्रमुख समस्याओं और सुझावों का विस्तृत ज्ञापन सेंट्रल जीएसटी के शीर्ष अधिकारियों को सौंपा।
इस बैठक में सीजीएसटी के चीफ कमिश्नर प्रदीप सक्सेना, प्रिंसिपल कमिश्नर योगेश अग्रवाल, जमशेदपुर सीजीएसटी कमिश्नर बीके गुप्ता, ऑडिट कमिश्नर धर्मजीत कुमार, अपील कमिश्नर रवि सेल्वन, अपर आयुक्त सुबोध कुमार और स्टेट जीएसटी के अपर आयुक्त अवधेश मेहरा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने झारखंड के अलग-अलग व्यवसायिक और प्रोफेशनल संगठनों के प्रतिनिधियों से संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं।
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सुलभ न्याय के लिए अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना की मांग
मानद महासचिव मानव केडिया ने बताया कि सिंहभूम चैंबर ने ज्ञापन के ज़रिए मुख्य रूप से यह सुझाव दिया कि करदाताओं की कठिनाइयों को देखते हुए प्रथम अपीलीय प्राधिकरण को तीन माह से अधिक की देरी माफ करने का अधिकार दिया जाए। अभी सिर्फ रांची में अपीलीय प्राधिकरण है, जिससे जमशेदपुर और बोकारो जैसे प्रमुख शहरों के व्यापारी परेशान हैं। इसलिए इन शहरों में भी इस व्यवस्था को शुरू करने की मांग की गई है।
इसके साथ ही, चैंबर ने झारखंड में जल्द से जल्द जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन की भी अपील की है। वर्तमान में इसकी अनुपस्थिति के कारण व्यापारियों को अपील के लिए दूसरे राज्य या हाईकोर्ट जाना पड़ता है, जिससे समय और पैसा दोनों की बर्बादी होती है।
ब्याज दरों में असमानता पर जताई चिंता
चेंबर के उपाध्यक्ष (वित्त) व जीएसटी अधिवक्ता राजीव अग्रवाल ने कहा कि कर जमा करने में देरी पर सरकार 18% से 24% तक ब्याज वसूलती है, जबकि रिफंड देने पर केवल 6% ब्याज मिलता है। यह असमानता करदाताओं के लिए भारी बोझ बन चुकी है। उन्होंने सुझाव दिया कि ब्याज दर या तो रिफंड दर के बराबर या अधिकतम 1.5 गुना होनी चाहिए, लेकिन 12% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
छोटे व्यापारियों की समस्याओं को भी उठाया गया
ज्ञापन में बताया गया कि कई छोटे कारोबारी (कंपोजिशन डीलर) तकनीकी जानकारी के अभाव में पुराने वर्षों का GSTR-4 रिटर्न दाखिल नहीं कर सके हैं। इस कारण पोर्टल चालू वर्ष का रिटर्न स्वीकार नहीं करता, जिससे उन्हें काफी दिक्कत होती है। इसके समाधान के लिए पुराने रिटर्न पर लेट फीस को सीमित करने की मांग की गई — सामान्य रिटर्न के लिए ₹1000 और शून्य रिटर्न के लिए ₹500 — जैसा कि पहले अधिसूचना संख्या 73/2017 और 67/2020 में किया गया था।
ई-इनवॉयस में सुधार की सुविधा जरूरी
वर्तमान में एक बार ई-इनवॉयस बन जाने के बाद उसमें कोई भी सुधार नहीं किया जा सकता। यह व्यापारियों के लिए चिंता का विषय बन चुका है। सिंहभूम चैंबर ने यह आग्रह किया कि सरकार ई-इनवॉयस पोर्टल पर संशोधन की सुविधा प्रदान करे, ताकि व्यापारी अपनी गलती को सही कर सकें और रिकार्ड्स सही बने रहें।
एडवांस रूलिंग को फिर से शुरू करने का सुझाव
ज्ञापन में एडवांस रूलिंग प्राधिकरण को दोबारा सक्रिय करने का भी अनुरोध किया गया, ताकि व्यापारियों को जीएसटी से जुड़ी स्पष्ट जानकारी मिल सके और वे कानूनी उलझनों से बच सकें।
कमेटी ने दिया सकारात्मक आश्वासन
बैठक में चीफ कमिश्नर प्रदीप सक्सेना ने आश्वासन दिया कि दिए गए सुझावों पर विचार कर शीघ्र बैठक बुलाकर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि करदाताओं की समस्याओं को सुलझाना उनकी प्राथमिकता है।
इन प्रतिनिधियों ने रखा पक्ष
इस अहम बैठक में सिंहभूम चैंबर की ओर से महासचिव मानव केडिया, उपाध्यक्ष (वित्त) राजीव अग्रवाल, सचिव अंशुल रिंगसिया शामिल हुए। इनके अलावा फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स, झारखंड कमर्शियल टैक्स बार एसोसिएशन, झारखंड स्मॉल इंडस्ट्री एसोसिएशन और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया जैसे संस्थानों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
निष्कर्ष
सिंहभूम चैंबर ने जिन बिंदुओं को प्रमुखता से रखा, वे न केवल व्यापारियों के लिए राहत देने वाले हैं, बल्कि इससे जीएसटी प्रणाली को ज्यादा सरल, न्यायसंगत और व्यावहारिक बनाने में मदद मिलेगी। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इन सुझावों पर कितनी जल्दी अमल करती है।
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