जमशेदपुर, 27 जुलाई: जमशेदपुर में शनिवार को भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर चल रहे “अटल मोहल्ला क्लिनिक” का नाम बदलकर “मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लिनिक” किए जाने के विरोध में किया गया। विरोध जताने के लिए भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया।
यह प्रदर्शन जुबिली पार्क गोलचक्कर पर किया गया। भाजयुमो जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष नीतीश कुशवाहा की अगुवाई में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें बड़ी संख्या में युवा कार्यकर्ता और स्थानीय लोग शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में इस फैसले को अटल बिहारी वाजपेयी जैसे सम्मानित नेता के प्रति अपमान और जनभावनाओं की अनदेखी बताया।
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जनता की भावनाएं और नाराजगी
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने जोरदार सरकार विरोधी नारे लगाए। उन्होंने इस नाम परिवर्तन को झारखंड की आत्मा और आदिवासी पहचान पर हमला बताया। लोगों का कहना था कि यह फैसला राजनीतिक तुष्टिकरण के इरादे से लिया गया है, जिसे आम जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी।
भाजयुमो की चेतावनी
भाजयुमो जिलाध्यक्ष नीतीश कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री नहीं थे, बल्कि वो झारखंड राज्य के निर्माता माने जाते हैं। उन्हीं की दूरदृष्टि और मजबूत फैसलों के कारण झारखंड राज्य का गठन संभव हो पाया। ऐसे महापुरुष के नाम से जुड़ी किसी योजना का नाम बदलना, पूरी जनता का अपमान है।”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर सरकार इस फैसले को जल्द वापस नहीं लेती, तो भाजयुमो पूरे राज्य में जन आंदोलन शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ नाम का मामला नहीं, बल्कि एक आस्था और पहचान से जुड़ा मुद्दा है।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोग
इस विरोध प्रदर्शन में कई भाजपा और भाजयुमो के नेता भी शामिल रहे, जिनमें प्रमुख हैं:
- शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ. राजीव कुमार
- प्रदेश कार्यसमिति सदस्य जटाशंकर पांडेय
- भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष निशांत कुमार
- कोल्हान प्रभारी अमिताभ सेनापति
- ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष सागर राय
- जिला प्रभारी सुजीत वर्मा
- प्रदेश मंत्री सोनू ठाकुर
- कार्यकर्ता शैलेश गुप्ता, अमित मिश्रा, गौतम प्रसाद, बिरेन महतो, अनमोल वर्मा, मनोज सिंह आदि।
निष्कर्ष
भाजयुमो का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी का झारखंड की जनता से गहरा संबंध है, और उनके नाम पर बनी किसी भी योजना में बदलाव सिर्फ प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि जनता की भावनाओं से खिलवाड़ है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस विरोध को कितनी गंभीरता से लेती है और आगे क्या फैसला करती है।
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