जमशेदपुरः बिष्टुपुर स्थित श्री श्री सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर (श्रीराम मंदिर के बगल में) में मंगलवार से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ किया गया। इस धार्मिक आयोजन की शुरुआत सुबह 9 बजे मंदिर से भव्य कलश शोभा यात्रा के साथ हुई, जो मुख्य मार्गों से होते हुए कथा स्थल तक पहुंची। शोभायात्रा में महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर कलश लेकर चलीं, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया।
कथा स्थल पर वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक विधियों के साथ कलश की स्थापना की गई। पूजा-अर्चना के बाद वृंदावन से पधारे भागवताचार्य मयंक जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया। उन्होंने सबसे पहले श्रीमद्भागवत की महिमा को सरल शब्दों में समझाया और कहा – भागवत कथा कोई साधारण कहानी नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक सच्ची कला है।
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महाराज ने व्यासपीठ से कथा के पहले दिन मंगलाचरण और भागवत महात्म्य का वाचन किया। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत वह ग्रंथ है, जिसमें जीवन का सार छिपा है। इसे सुनने से मन को शांति, आत्मा को आनंद और जीवन को दिशा मिलती है। जब मनुष्य स्थिर चित्त और श्रद्धा से कथा को सुनता है, तो उसे जन्म-जन्मांतर के मोह-माया से मुक्ति मिलती है।
महाराज ने आगे कहा – श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से जीवन के सारे दुःख दूर हो जाते हैं और मन में भक्ति का संचार होता है।
प्रथम दिन की कथा के प्रमुख यजमान थे – पायल-गगन रुस्तगी, उमा-ललित डांगा, पूजा-सुधीर अग्रवाल, बिनिता-आशीष अग्रवाल, सीमा-मुरारी लाल अग्रवाल, मेघा-मनीष सिंघानिया, नेहा-प्रवीण भालोटिया, कविता-महावीर अग्रवाल आदि। इन सभी ने अपने परिवार के साथ कलश यात्रा और पूजा में भाग लिया।
इस धार्मिक आयोजन का संयुक्त रूप से संचालन श्री श्याम भटली परिवार जमशेदपुर और भयली महिला मंडल सोनारी द्वारा किया जा रहा है। पहले दिन की कथा में शहर के कई सामाजिक व राजनीतिक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इनमें सुधा गुप्ता, अरुण बांकरेवाल, विजय आनंद मूनका, अभिषेक अग्रवाल गोल्डी, संदीप मुरारका आदि शामिल रहे। सभी ने कथा स्थल पर हाजिरी लगाई, आचार्य मयंक जी महाराज से आशीर्वाद लिया और झारखंड राज्य के सर्वांगीण विकास की प्रार्थना की।
आयोजकों द्वारा सभी अतिथियों का सम्मान भी किया गया।
बुधवार को दूसरी कथा में सुनाई जाएगी – कुंती एवं भीष्म स्तुति, वराह अवतार और कपिलदेव द्वारा माता देवहुति को दिया गया उपदेश, जिसे कपिलोपाख्यान कहा जाता है।
भक्तों की भारी भीड़, “राधे-राधे” के जयकारे और आध्यात्मिक वातावरण में श्रीमद् भागवत कथा का यह आयोजन शहरवासियों के लिए भक्ति और आत्म-शुद्धि का एक अनुपम अवसर बनकर सामने आया है।
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