चाकुलिया (जमशेदपुर ग्रामीण) : सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इसी भावना को साकार करते हुए चाकुलिया नगर पंचायत के पुराना बाजार स्थित सत्यनारायण ठाकुरबाड़ी मंदिर में शनिवार को एक विशेष आयोजन किया गया। मारवाड़ी महिला समिति के सहयोग से मंदिर में सामूहिक बाल रुद्राभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 15 बच्चों ने मिलकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया।
इस धार्मिक आयोजन का उद्देश्य बच्चों को भारतीय संस्कृति, परंपरा और भगवान शिव की भक्ति से जोड़ना था। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुई, जिसे मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने विधिपूर्वक सम्पन्न कराया। बच्चों ने अपने नन्हें हाथों से शिवलिंग पर जल, दूध, फूल और बेलपत्र अर्पित किए और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हुए रुद्राभिषेक किया।
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इन बच्चों ने किया रुद्राभिषेक:
इस पावन अनुष्ठान में भाग लेने वाले बच्चों में वात्सल रुंगटा, दर्श अग्रवाल, हर्षुल रुंगटा, पार्थ रुंगटा, आरोही अग्रवाल, अद्विक अग्रवाल, जीविशा लोधा, दिशा अग्रवाल, आरव बजाज लोधा, अभिराज रुंगटा, अभिनव शर्मा, अनय लोधा, अनाया यादव, विराज शर्मा और यज्ञेन लोधा शामिल थे।
रुद्राभिषेक के दौरान मंदिर में एक सकारात्मक और भक्ति से भरा वातावरण बना रहा। बच्चों के माता-पिता भी इस मौके पर मौजूद थे, जो अपने बच्चों को भक्ति और संस्कारों के साथ देखकर भावुक हो उठे। कई माता-पिता ने कहा कि ऐसे आयोजन बच्चों को धार्मिक मूल्यों और समाज से जोड़ने का सुंदर तरीका है।
महिलाओं की भूमिका रही अहम:
इस कार्यक्रम में मारवाड़ी महिला समिति की महिलाएं प्रमुख भूमिका में नजर आईं। समिति की मंजू अग्रवाल, सुनीता रुंगटा, रीता लोधा, संगीता भरतीया, राजश्री रुंगटा, मुस्कान रुंगटा, शारदा लोधा, सरोज रुंगटा, वीणा रुंगटा, विनय रुंगटा और नीतू रुंगटा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया।
महिलाओं ने बच्चों के लिए विशेष प्रसाद की व्यवस्था की और पूरे आयोजन के दौरान सभी धार्मिक नियमों और स्वच्छता का भी ध्यान रखा। कार्यक्रम के अंत में सभी बच्चों और उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
संस्कारों की ओर एक सुंदर पहल:
ऐसे आयोजन न केवल धार्मिक होते हैं, बल्कि बच्चों में अनुशासन, आस्था और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को भी जाग्रत करते हैं। आयोजकों का कहना है कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन नियमित रूप से होते रहेंगे, ताकि नई पीढ़ी भारतीय परंपराओं से जुड़ी रहे।
इस सामूहिक बाल रुद्राभिषेक ने यह साबित कर दिया कि श्रद्धा और संस्कार की कोई उम्र नहीं होती। जब छोटे बच्चे शिव आराधना में इतने भाव से जुड़ सकते हैं, तो निश्चित ही आने वाली पीढ़ी भारत की सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने में पीछे नहीं रहेगी।
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