जमशेदपुर: जमशेदपुर के कदमा स्थित ग्रीन एनक्लेव परिसर में ऑल इंडिया बैंक पेंशनर्स एंड रिटायरी कन्फेडरेशन की झारखंड राज्य इकाई की अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में पूर्वी सिंहभूम जिले के विभिन्न बैंकों से रिटायर्ड हो चुके कर्मचारियों और पेंशनर्स ने बड़ी संख्या में भाग लिया। करीब 100 से अधिक प्रतिनिधियों की मौजूदगी में जिला समिति के नये पदाधिकारियों का चयन सर्वसम्मति से किया गया।
बैठक के दौरान सर्वसम्मति से प्रणव कृष्ण डे को आगामी तीन वर्षों (2025 से 2028) के लिए जिला अध्यक्ष और अनिल कुमार को सचिव नियुक्त किया गया। इस अवसर पर संगठन के राज्य सचिव देवाशीष सेनगुप्ता ने सभा को संबोधित करते हुए संगठन की अब तक की गतिविधियों, संघर्षों और उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
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छह लाख से अधिक पेंशनर्स की आवाज बना संगठन
देवाशीष सेनगुप्ता ने बताया कि यह संगठन देशभर के बैंक पेंशनर्स और सेवानिवृत्त कर्मचारियों का राष्ट्रीय मंच है, जिसमें 6 लाख से भी ज्यादा सदस्य जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि संगठन लगातार पेंशनर्स की लंबित मांगों को लेकर सरकार, बैंक अधिकारियों और अन्य संस्थानों से संवाद करता रहा है।
उठाए गए अहम मुद्दे
- रिजर्व बैंक की तर्ज पर सभी बैंकों के पेंशनर्स के लिए पेंशन नवीनीकरण (Revision) लागू किया जाए।
- पेंशनर्स के राष्ट्रीय संगठन को सरकारी सलाहकार का दर्जा मिले।
- 1 नवंबर 2012 से लागू विशेष भत्ते (Special Allowance) को ग्रेच्युटी और पेंशन की गणना में जोड़ा जाए।
- बैंक कर्मचारियों की तरह पेंशनर्स को भी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की किश्त बैंक द्वारा दी जाए, और उस पर लगने वाला जीएसटी खत्म किया जाए।
- जिन रिटायर्ड बैंककर्मियों की संख्या बहुत कम है और जिन्हें अब तक पेंशन नहीं मिल रही, उन्हें एक और मौका देकर पेंशन में शामिल किया जाए।
लंबी लड़ाई का किया गया जिक्र
सचिव सेनगुप्ता ने बताया कि इन सभी मुद्दों को लेकर देशभर में कई बार आंदोलन, पत्राचार और धरने किए गए। प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, इंडियन बैंक एसोसिएशन, वित्तीय सेवा विभाग और यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियनों तक 6 लाख से अधिक पत्र और ईमेल भेजे गए। इसके बावजूद अब तक सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
रांची में हुई भूख हड़ताल
अपनी बातों को मजबूती से रखने के लिए संगठन की झारखंड राज्य इकाई ने 18 जुलाई को रांची में एक दिवसीय भूख हड़ताल का आयोजन किया, जिसमें सभी सदस्यों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। इसके जरिए उन्होंने सरकार और बैंक प्रबंधन को अपनी न्यायसंगत मांगों की ओर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की।
अन्य सदस्यों की भी रही भागीदारी
बैठक में एस.के. मजुमदार, आलोक मित्रा, नीलेश गुप्ता समेत कई वरिष्ठ सदस्यों ने अपने विचार साझा किए। सभी ने मिलकर भविष्य में संगठन को और मजबूत बनाने और पेंशनर्स के अधिकारों की रक्षा के लिए साथ मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया।
निष्कर्ष:
जमशेदपुर में हुई यह बैठक सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं थी, बल्कि यह बैंक पेंशनर्स और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की आवाज़ को एकजुट करने का मंच बनी। इसमें जिन मुद्दों पर चर्चा हुई, वे न सिर्फ आर्थिक रूप से जरूरी हैं, बल्कि बुजुर्गों के सम्मान और सुरक्षा से भी जुड़े हुए हैं। नए अध्यक्ष और सचिव के चुनाव के साथ संगठन को नई दिशा देने की उम्मीद जागी है।
सभी सदस्यों ने मिलकर यह साफ कर दिया कि वे अब चुप नहीं बैठने वाले हैं और अपनी जायज़ मांगों के लिए शांतिपूर्ण लेकिन मजबूती से संघर्ष करते रहेंगे। यह पहल आने वाले समय में सरकार और बैंक प्रशासन पर ज़रूर असर डालेगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है।
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