जमशेदपुर: झारखंड सरकार ने राज्य में चल रहे ‘अटल मोहल्ला क्लिनिक’ का नाम बदलकर अब ‘मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लिनिक’ रख दिया है। इस बदलाव को लेकर राजनीति गरमा गई है। खासकर भाजपा ने इस फैसले का जमकर विरोध किया है। पार्टी ने इस कदम को न सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान का अपमान बताया है, बल्कि इसे आदिवासी समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला भी करार दिया है।
भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रमेश हांसदा ने इस नाम परिवर्तन पर नाराज़गी जताई है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह फैसला झारखंड की आत्मा और आदिवासी पहचान पर सीधी चोट है।
🙏Don’t forget to explore them for more informative and latest updates!
अटल जी को बताया झारखंड का निर्माता
रमेश हांसदा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक नेता नहीं थे, बल्कि वही व्यक्ति हैं जिन्होंने झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाया। उन्होंने ही संताली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर भाषाई सम्मान दिया। इसके साथ ही आदिवासी कल्याण मंत्रालय की स्थापना कर आदिवासी समाज के लिए ठोस कदम उठाए।
हांसदा का कहना है कि ऐसे नेता के नाम को हटाना बहुत दुखद और निंदनीय है। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड की सरकार राजनीतिक फायदे के लिए इतिहास और संस्कृति के साथ खिलवाड़ कर रही है।
सरकार की कथनी और करनी में अंतर: भाजपा
हांसदा ने यह भी कहा कि झारखंड सरकार खुद को आदिवासियों की हितैषी बताती है, लेकिन उसका यह कदम उसकी कथनी और करनी में बड़ा फर्क दिखाता है। उन्होंने इसे आदिवासी समाज के साथ धोखा करार दिया। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज ने सदियों तक अपनी पहचान के लिए संघर्ष किया है, और ऐसे फैसले उनके सम्मान और गौरव को ठेस पहुंचाते हैं।
भाजपा की तीन मांगें
भाजपा नेता रमेश हांसदा ने राज्य सरकार के सामने तीन साफ-साफ मांगे रखीं:
- क्लिनिक का नाम फिर से अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किया जाए।
- आदिवासी समाज की संस्कृति, भाषा और पहचान का पूरा सम्मान किया जाए।
- राजनीतिक फायदे के लिए आदिवासी महापुरुषों और प्रतीकों का अपमान रोका जाए।
चेतावनी भी दी
हांसदा ने आगे चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द ही इस निर्णय को नहीं बदला, तो झारखंड का आदिवासी समाज और राष्ट्रभक्त जनता लोकतांत्रिक तरीके से इसका कड़ा जवाब देगी। उन्होंने इसे सिर्फ एक नाम बदलने का मामला नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज की आत्मा और इतिहास से जुड़ा विषय बताया।
निष्कर्ष
झारखंड में एक सरकारी क्लिनिक का नाम बदलने से शुरू हुआ विवाद अब आदिवासी अस्मिता और राजनीतिक पहचान का मुद्दा बन गया है। भाजपा इसे अपने राष्ट्रनायक और आदिवासी समाज की संस्कृति से जुड़े सवाल के रूप में देख रही है। अब देखना यह है कि सरकार इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है।
इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपको कैसी लगी? अपने विचार और सुझाव हमारे साथ ज़रूर साझा करें ताकि हम भविष्य में और भी बेहतर और उपयोगी लेख आपके लिए ला सकें।
इस पोस्ट को अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना न भूलें, ताकि वे भी इस जानकारी का पूरा लाभ उठा सकें।
Jamshedpur की हर छोटी-बड़ी खबर सबसे पहले पढ़ने के लिए जुड़े रहें – Whatsapp पर!